उत्तराखंड सरकार की नंदा देवी कन्या योजना प्रचार प्रसार के अभाव में पात्र लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है। आलम यह है कि पिछले वर्ष महज सोलह हजार कन्याओं को इसका लाभ मिला। इस वर्ष अभी तक तेरह हजार कन्याओं का चयन किया गया है, हालांकि इन्हें अभी तक कल्याण राशि नहीं दी गई है, जबकि सरकारी खजाने में योजना के मद में आठ करोड़ पड़ा हुआ है। बीपीएल परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास विभाग ने वर्ष 2009 में नंदादेवी कन्या योजना की शुरुआत की। योजना के तहत बीपीएल परिवार की पहली दो कन्याओं को पांच हजार रुपए दिए जाने का प्रस्ताव है। योजना के रिस्पांस को देखते हुए इसके विस्तार की भी योजना बनाई गई लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। योजना के बारे में मैदानी क्षेत्रों में जिला स्तर पर तो लोगों को थोड़ी बहुत जानकारी भी है लेकिन गांव के स्तर पर बिल्कुल नहीं। ऐसे में पर्वतीय जिलों में योजना की गति कैसी होगी, समझा जा सकता है। यही वजह है कि 2009 में महज सोलह हजार कन्याओं को ही इसका लाभ मिला। इस साल तो स्थिति और भी नाजुक है, वित्तीय वर्ष के समाप्ति की ओर है अब तक तेरह हजार कन्याओं का ही चयन किया गया है, जबकि सरकारी खजाने में योजना के मद में आठ करोड़ पड़ा हुआ है। हाल ही में हुई विभागीय बैठक में बताया गया कि निदेशालय की ओर से प्रचार प्रसार के संबंध में भेजे गए प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने अड़ंगा लगा दिया है। जिलों में विभागीय अफसरों के पास योजना का रिकार्ड दुरुस्त करने को स्टेशनरी तक नहीं है, विज्ञापन आदि तो बहुत दूर की बात है। जाहिर है विभाग का यह रवैया सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना को पलीता लगा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव मनीषा पंवार के मुताबिक, योजना को सफल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस बारे में भारतीय जीवन बीमा निगम से एमओयू किया गया है। स्वास्थ्य विभाग से भी वार्ता की जा रही है। संबंधित अफसरों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
Wednesday, January 26, 2011
उत्तराखंड: दम तोड़ रही नंदा देवी कन्या योजना
उत्तराखंड सरकार की नंदा देवी कन्या योजना प्रचार प्रसार के अभाव में पात्र लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है। आलम यह है कि पिछले वर्ष महज सोलह हजार कन्याओं को इसका लाभ मिला। इस वर्ष अभी तक तेरह हजार कन्याओं का चयन किया गया है, हालांकि इन्हें अभी तक कल्याण राशि नहीं दी गई है, जबकि सरकारी खजाने में योजना के मद में आठ करोड़ पड़ा हुआ है। बीपीएल परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास विभाग ने वर्ष 2009 में नंदादेवी कन्या योजना की शुरुआत की। योजना के तहत बीपीएल परिवार की पहली दो कन्याओं को पांच हजार रुपए दिए जाने का प्रस्ताव है। योजना के रिस्पांस को देखते हुए इसके विस्तार की भी योजना बनाई गई लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। योजना के बारे में मैदानी क्षेत्रों में जिला स्तर पर तो लोगों को थोड़ी बहुत जानकारी भी है लेकिन गांव के स्तर पर बिल्कुल नहीं। ऐसे में पर्वतीय जिलों में योजना की गति कैसी होगी, समझा जा सकता है। यही वजह है कि 2009 में महज सोलह हजार कन्याओं को ही इसका लाभ मिला। इस साल तो स्थिति और भी नाजुक है, वित्तीय वर्ष के समाप्ति की ओर है अब तक तेरह हजार कन्याओं का ही चयन किया गया है, जबकि सरकारी खजाने में योजना के मद में आठ करोड़ पड़ा हुआ है। हाल ही में हुई विभागीय बैठक में बताया गया कि निदेशालय की ओर से प्रचार प्रसार के संबंध में भेजे गए प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने अड़ंगा लगा दिया है। जिलों में विभागीय अफसरों के पास योजना का रिकार्ड दुरुस्त करने को स्टेशनरी तक नहीं है, विज्ञापन आदि तो बहुत दूर की बात है। जाहिर है विभाग का यह रवैया सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना को पलीता लगा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव मनीषा पंवार के मुताबिक, योजना को सफल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस बारे में भारतीय जीवन बीमा निगम से एमओयू किया गया है। स्वास्थ्य विभाग से भी वार्ता की जा रही है। संबंधित अफसरों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment