राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का कहना है कि जन्म लेने से पहले ही देश में हर साल सात लाख लड़कियों की हत्या कर दी जाती है। एनएचआरसी के सदस्य और पूर्व राजदूत रहे सत्यब्रत पाल ने यहां कहा, जैसे ही कोई महिला गर्भवती होती है, उसे बच्चे के लिंग के बारे मे चिंता सताने लगती है। गैरकानूनी तरीके से गर्भ परीक्षण कराने पर जब भ्रूण के लड़की होने का पता चलता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है। उन्होंने कहा, भारत में हर साल एक वर्ष की उम्र से पहले ही 10 लाख 72 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। लैंगिक भेदभाव वाली हमारी सोच इसकी सबसे बड़ी वजह है। लड़कों के बजाय लड़कियों की मृत्यु दर ज्यादा है। एक-तिहाई नवयुवतियां अल्पपोषित महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर किए गए एक सरकारी सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि भारत में तकरीबन एक तिहाई नवयुवतियां अल्पपोषित हैं और तकरीबन 56.2 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं रक्त की कमी से पीडि़त हैं।
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