केंद्र और राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद हरियाणा में कन्याओं के प्रति लोगों की सोच बदल नहीं पा रही है। राज्य में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या के आनुपातिक आंकड़े की खाई इस बार और चौड़ी हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और गृहमंत्री के घर (गृह जनपद) समेत 17 जिलों में लिंगानुपात में गिरावट आई है । पिछले साल की तुलना में अनुपात का आंकड़ा 854 से घटकर 834 हो गया है। एक जनवरी को आए लिंगानुपात के ताजा आंकड़े डरावनी तसवीर पेश कर रहे हैं। राज्य में इस वर्ष लड़का-लड़की का लिंगानुपात सुधरने की बजाए करीब 20 प्वाइंट गिरा है। ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में प्रति हजार लड़कों पर 834 लड़कियां है, जबकि पिछले साल यह संख्या 854 थी। ताजा आंकड़े इस लिहाज से और भी निराशाजनक कहे जा सकते हैं कि केंद्र और राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 2010 में लिंगानुपात सुधारने को कई योजनाएं चलाईं, पर नतीजा नकारात्मक रहा। 17 जिलों में लिंगानुपात में 30 प्वाइंट तक की गिरावट आई है। मुख्यमंत्री के गृह जिले में लिंगानुपात 20 अंक गिरकर 804 हो गया है जो 2009 में 824 था। दो वर्ष पूर्व लिंगानुपात में तेजी से सुधार के लिए पुरस्कृत स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला झज्जर में इस वर्ष भी गिरावट दर्ज की गई है। इस दफा लिंगानुपात 804 रहा, जबकि पिछले वर्ष लिंगानुपात 810 था। भिवानी का लिंगानुपात 863 से गिरकर 835, जींद का 860 से गिरकर 857, करनाल का 850 से गिरकर 835, कुरुक्षेत्र का 810 से गिरकर 765, अंबाला का 829 से 798, नारनौल का अनुपात 779 से गिरकर 773 लड़कियां प्रति हजार लड़के हो गया है। रेवाड़ी जिले में तो अनुपात 764 बना हुआ है, जो राज्य में सबसे कम है। राज्य के चार जिलों पानीपत, मेवात, यमुनानगर तथा पंचकूला में लिंगानुपात में सुधार दर्ज किया गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पानीपत में लड़का-लड़की का अनुपात 837 से सुधरकर 853, मेवात में 889 से सुधरकर 894 हो गया है। विभिन्न जिलों के सिविल सर्जन बिगड़ते लिंगानुपात के लिए जागरूकता का अभाव व दिल्ली में लिंग जांच व गर्भपात के सुलभ साधनों को कारण मान रहे हैं। अनेक सिविल सर्जन ने बताया कि वे दिल्ली में लिंग जांच और गर्भपात की अधिक संभावना के चलते प्रदेश सरकार को इस बारे में पत्र लिख रहे है।
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