Tuesday, January 24, 2012

पड़ोसी राज्यों के कारण दिल्ली में लड़कियां कम


2011 के जनगणना के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में छह साल तक की उम्र की लड़कियों की तादाद में भारी कमी आई है। यहां तक कि यह प्रति एक हजार लड़कों पर दिल्ली में लड़कियों की संख्या देश के अनुपात से भी कम हैं। दिल्ली में लड़के व लड़कियों के जन्म दर के अनुपात में भारी अंतर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के चिंता जताने के बाद से दिल्ली सरकार हरकत में है। हालांकि दिल्ली सरकार ने लड़कियों की जनसंख्या में कमी के लिए पड़ोसी राज्यों की खराब स्वास्थ्य स्थिति को ही जिम्मेदार ठहराया है। देश की ताजा जनगणना के अनुसार दिल्ली में छह साल तक बच्चों में हर हजार लड़कों के बीच 866 लड़कियां ही बची हैं। 2001 में दिल्ली में यह अनुपात 868 थी। दिल्ली में लड़कियों का अनुपात इस बार राष्ट्रीय अनुपात 914 से भी कम है। 2001 में राष्ट्रीय अनुपात 927 था। सरकार के महिला व बाल कल्याण विभाग ने लड़कियों की जन्म दर में वृद्धि सुनिश्चित करने को लेकर व्यापक अभियान छेड़ने की घोषणा की है। दिल्ली की समाज कल्याण तथा महिला व बाल विकास मंत्री किरण वालिया ने कहा कि गर्भवती महिलाओं के लिए पड़ोसी राज्यों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के कारण लड़कियों के अनुपात में यह कमी आई है। चूंकि पड़ोसी राज्यों की गर्भवती महिलाएं दिल्ली आकर बच्चे को जन्म देती हैं और जब प्रसव के दौरान शिशु की मृत्यु हो जाती है तो वह आंकड़े दिल्ली की छवि को ख्रराब करते हैं। एक प्रेसवार्ता में वालिया ने इस मसले पर कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में आप देखेंगे कि 30 से 35 फीसदी मरीज दिल्ली के बाहर के होते हैं। वालिया ने कहा कि 24 जनवरी को कन्या शिशु दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने पिछले साल सितंबर में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को पत्र लिखकर राजधानी में लड़कों के अनुपात में लड़कियों की जन्म दर में अंतर पर चिंता जताई थी। प्रो. किरण वालिया ने कहा कि सरकार बेटियों को लेकर समाज में व्याप्त सोच में बुनियादी परिवर्तन लाने को हरसंभव उपाय करेगी। उन्होंने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति सबसे ज्यादा शहर के पढ़े-लिखे तबके में है। उन्होंने स्वीकार किया कि लड़कियों की संख्या बढ़ाने के लिए कन्या भ्रूण की जांच करने वालों और गर्भपात कराने वालों के खिलाफ भी व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि उनके विभाग ने गैर सरकारी संगठन सन फाउंडेशन के साथ मिलकर काम करना तय किया है। फाउंडेशन की ओर से कुछ गाडि़यां भी विभाग को दी गई हैं। ये गाडि़यां हर जिले में गली-गली जाकर जागरूकता फैलाने का काम करेंगी। इस काम में आंगनवाड़ी से जुड़ी महिलाओं का भी सहयोग लिया जाएगा।