Wednesday, September 28, 2011

क्या हैं महिला अधिकार


देश में महिला अधिकार की बात बड़े ही जोर-शोर से उठाई जा रही है लेकिन देश की ज्यादातर महिलाओं को सही मायनों में उनके मौलिक अधिकारों अथवा संवैधानिक अधिकारों की जानकारी ना के बराबर है। आइए, जानते हैं कि भारतीय संविधान के अनुसार महिलाओं को क्या-क्या हक प्रदान किये गए हैं-
भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 14, 15 और 16 में देश के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार दिया गया है। समानता का मतलब समानता’, इसमें किसी प्रकार का लिंग भेद नहीं है। समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार महिला-पुरुष दोनों को समान रूप से दिया गया है। शारीरिक और मानसिक तौर पर नर-नारी में किसी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक माना गया है। हालांकि आवश्यकता महसूस होने पर महिलाओं और पुरुषों का वर्गीकरण किया जा सकता है। अनुच्छेद-15 में प्रावधान किया गया है कि स्वतंत्रता, समानता और न्याय के साथ महिलाओं/लड़कियों की सुरक्षा और संरक्षण का काम भी सरकार का कर्तव्य है। जैसे बिहार में लड़कियों के लिए साइकिल और पोशाक की योजना, मध्य प्रदेश में लड़कियों के लिए लाडली लक्ष्मीयोजना, दिल्ली में मेट्रो में महिलाओं के लिए रिजर्व कोच की व्यवस्था आदि।ा अधिकार
स्वतंत्रता और समानता का अधिकार : अनुच्छेद-19 में महिलाओं को यह अधिकार दिया गया है कि वे देश के किसी भी हिस्से में नागरिक की हैसियत से स्वतंत्रता के साथ आ-जा सकती हैं रह सकती हैं। व्यवसाय का चुनाव भी स्वतंत्र रूप से कर सकती हैं। महिला होने के कारण किसी भी कार्य के लिए मना करना उसके मौलिक अधिकार का हनन होगा। ऐसा होने पर वे कानून की मदद ले सकती हैं। महिल्
नारी की गरिमा का अधिकार : अनुच्छेद-23 नारी की गरिमा की रक्षा करते हुए उनको शोषण-मुक्त जीवन जीने का अधिकार देता है। महिलाओं की खरीद-बिक्री, वेश्यावृत्ति के धंधे में जबरदस्ती लाना, भीख मांगने पर मजबूर करना आदि दंडनीय अपराध है। ऐसा कराने वालों के लिए भी भारतीय दंड संहिता के अन्तर्गत सजा का प्रावधान है। संसद ने अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम, 1956 पारित किया है। भारतीय दंड संहिता की धारा-361, 363, 366, 367, 370, 372, 373 के अनुसार ऐसे अपराधी को 7 साल से लेकर 10 साल तक की कैद और जुर्माने की सजा भुगतनी पड़ क्या ह सकती है। अनुच्छेद-24 के अनुसार 14 साल से कम उम्र के लड़के या लड़कियों से काम करवाना बाल अपराध है।
घरेलू हिंसा का कानून : घरेलू हिंसा अधिनियम , 2005 जिसके तहत वे सभी महिलाएं जिनके साथ किसी भी तरह की घरेलू हिंसा की जाती है, उनको प्रताड़ित किया जाता है, वे सभी पुलिस थाने जाकर दर्ज करा सकती हैं तथा पुलिसकर्मी बिना समय गंवाए प्रतिक्रिया करेंगे।
दहेज निवारक कानून : दहेज लेना ही नहीं, देना भी अपराध है। अगर वधू पक्ष के लोग दहेज लेने के आरोप में वर पक्ष को कानूनी सजा दिलवा सकते हैं तो वर पक्ष भी इस कानून के ही तहत वधू पक्ष को दहेज देने के जुर्म में सजा करवा सकता है। 1961 से लागू इस कानून के तहत वधू को दहेज के नाम पर प्रताड़ित करना भी संगीन जु र्म है।
नौकरी/स्व व्यवसाय करने का अधिकार : संविधान के अनुच्छेद-16 में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि हर वयस्क लड़की व महिला को कामकाज के बदले वेतन प्राप्त करने का अधिकार पुरु षों के बराबर है। केवल महिला होने के नाते रोजगार से वंचित करना, किसी नौकरी के लिए अयो ग्य घोषित करना लैंगिक भेदभाव माना जाएगा।
प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद-21 एवं 22 दैहिक स्वाधीनता का अधिकार प्रदान करता है। हर व्यक्ति को इज्जत के साथ जीने का मौलिक अधिकार संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। अपनी देह व प्राण की सुरक्षा करना हरेक का मौलिक अधिकार है।
राजनीतिक अधिकार : प्रत्येक महिला व वयस्क लड़की को चुनाव की प्रक्रिया में स्वतंत्र रूप से भागीदारी करने और स्व विवेक के आधार पर वोट देने का अधिकार प्राप्त है। कोई भी संविधान-सम्मत योग्यता रखने पर किसी भी तरह के चुनाव में उम्मीदवारी कर सकती है।

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