Thursday, January 13, 2011

तत्काल दो महिला संरक्षण गृह बनाए सरकार : हाईकोर्ट

राजधानी में सड़क पर बच्ची को जन्म देने का मामला हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी केंद्र को राज्य सरकार के साथ सहयोग करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने 24 घंटे चिकित्सायुक्त पांच शेल्टर बनाने का दिया था सुझाव
नई दिल्ली (एसएनबी)। बेसहारा व गर्भवती महिलाओं के लिए चिकित्सा व अन्य सुविधाओं से युक्त संरक्षण गृह न बनाने पर हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को दिल्ली सरकार के साथ तालमेल न रखने पर फटकार भी लगाई है। पीठ ने सरकार को कहा है कि जल्द से जल्द कम से कम दो महिला संरक्षण गृह बनाए जाएं ताकि बेघर गर्भवती महिलाओं व अन्य जरूरतमंद महिलाओं को उनमें संरक्षण मिल सके। पीठ ने इस से पूर्व सरकार को पांच महिला संरक्षण गृह बनाने के निर्देश दिए थे और कहा था कि उनमें 24 घंटे चिकित्सा सेवा उपलब्ध होनी चाहिए। इसके अलावा झुग्गियों में जरूरतमंद महिलाओं के लिए एक मोबाइल वैन की सुविधा देने के साथ गर्भवती महिलाओं के लिए विभिन्न योजनाओं की जानकारी जनता को देने के लिए कारगर उपाय अपनाने का भी सुझाव दिया था। जानकारी हो कि गत अगस्त माह में कनॉट प्लेस के निकट शंकर मार्केट में एक बेसहारा महिला ने एक बच्ची को सड़क पर जन्म दिया था। इसके बाद महिला की तो मौत हो गई थी लेकिन ऋतु फ्रेडरिक नामक एक महिला ने नवजात बच्ची को बचा लिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वयं संज्ञान लेते हुए कहा था कि सरकार का यह दायित्व है कि वह हर बच्चे की देखरेख करे, जबकि हो यह रहा है कि गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में भर्ती करने से मना तक कर दिया जाता है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र व संजीव खन्ना की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार के मुख्य अधिवक्ता नजमी वजीरी से कहा कि आपके अधिकारी इस मामले में अतिरिक्त जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। यह मानवीय दृष्टिकोण से भी एक गंभीर मामला है। बेसहारा महिलाओं व खासतौर से गर्भवती महिलाओं के लिए तुरंत संरक्षण गृह बनने चाहिए। इस मामले में अदालत ने कहा कि वह इस तरह से सड़कों पर घूमने वाली गर्भवती महिलाओं की स्थिति के बारे में चुपचाप बैठे इंतेजार नहीं करते रहेंगे कि उनके लिए कछुआ चाल से संरक्षण गृह बनें। पीठ द्वारा नियुक्त एमीकस क्यूरी ने बताया कि इस मामले में उन्होंने राजधानी के कुछ महिला संरक्षण गृह का निरीक्षण किया था जो कि एनजीओ द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इनको सरकार से कोई फंड नहीं मिलता है। पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार के महिला बाल कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव को कहा कि वह राज्य सरकार से तालमेल करके इस समस्या का समाधान निकालें। पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि इस तरह की महिलाओं के लिए जो योजनाएं हैं उनका क्या हुआ। इस तरह से सभ्य समाज में किसी महिला द्वारा सड़क पर बच्चे को जन्म देना बहुत शर्मनाक है।

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