Thursday, February 3, 2011

यूपी में 5 वर्ष में भी न बन सके महिला सशक्तीकरण केंद्र


उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 वर्ष पूर्व हर जिले में महिला सशक्तीकरण केंद्र खोलने का निर्णय किया था। मकसद यह था कि एक ही छत के नीचे पीडि़त महिला को न्याय के लिए सारी सुविधाएं मुहैया हों, लेकिन इतने वर्षो बाद भी सरकार की यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी है। और तो और इसे संचालित करने के लिए अब तक राज्य स्तरीय समिति का भी गठन नहीं हो सका। विभाग अब इसके लिए नए सिरे से कवायद शुरू कर रहा है। प्रदेश सरकार ने महिला नीति के क्रियान्वयन के लिए 15 दिसंबर 2006 को गजट पारित किया। महिला एवं बाल विकास के सचिव ने गाइड लाइन भेजते हुए यह स्पष्ट किया कि महिला नीति के क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तर पर उच्च स्तरीय क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति गठित होगी और फिर जिलों में महिला सशक्तीकरण केंद्र की स्थापना की जाएगी। हर महिला सशक्तीकरण केंद्र में एक ही छत के नीचे महिला हेल्प लाइन, महिला थाना, कानूनी सहायता, कौशल सुधार को प्रशिक्षण केंद्र, मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक संस्थाओं की सेवाएं उपलब्ध रहेंगी। कंप्यूटराइज्ड सूचना केंद्र और अल्पवास गृह का भी बंदोबस्त किया जाना था। महिला कल्याण निदेशक बिहारी स्वरूप बताते हैं कि महिला सशक्तकीरण केंद्र की मॉनीटरिंग करने वाली उच्चस्तरीय समिति का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। उच्च स्तरीय क्रियान्वयन समिति और महिला सशक्तीकरण केंद्रों का गठन न हो पाने पर महिला-बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव बलविंदर कुमार ने स्वीकारा कि लेटलतीफी के चलते प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। साथ ही भरोसा दिलाया कि अब इसकी पहल शुरू की गई है और इसे मूर्त रूप दिया जाएगा। यहां तक आम महिलाओं की पहुंच नहीं : महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक एवं शारीरिक शोषण संबंधी अपराधों तथा उनके उत्पीड़न को रोकने के नाम पर शासन द्वारा पांच जोनल केंद्र खोले गए हैं। लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, बरेली और मेरठ में खोले गए इन केंद्रों तक आम महिलाओं की पहुंच नहीं बन पाती है।


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