Thursday, February 17, 2011

पति से न्याय पाने आयोग पहुंचीं महिलाएं


हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले की विमला (काल्पनिक नाम) ने अंतत: पति की क्रूरता को बयान करने का साहस जुटा ही लिया। वह अपने पेट में पल रहे कान्हा को बचाने के लिए हाड़ कंपा देने वाली ठंड में महिला आयोग की शिमला स्थित अदालत पहुंच गई। उसका आरोप है पति द्वारा शराब पीकर पीटे जाने से अब तक आठ बार उसका गर्भपात हो चुका है, लिहाजा वह इस नवीं औलाद को पति के घर में जन्म नहीं देगी। वह अपने कान्हा में अपने उस भविष्य को टटोल रही है जिस पर उसके पिता की छाया न हो और जो उसे सुकून व शांति देने वाला हो। हालांकि यह तो समय ही बताएगा कि वह कान्हा की मां बनेगी या कान्हा की बहन की। हिमाचल में महिला अधिकारों को लेकर हो रहे त्वरित फैसलों के बाद आयोग की कोर्ट में विमला जैसी दर्जनों महिलाएं अपनी दास्तां सुनाती हैं और जब उनके पतियों को आयोग की फटकार लगती है तो आधा इंसाफ उसी वक्त हो जाता है। शिमला में दो दिनों तक महिला आयोग की सुनवाई बैठकों में करीब 70 फीसदी मामले केवल महिलाओं से घरेलू हिंसा व पति द्वारा शराब पीकर पीटने के आए। मंगलवार को महिला आयोग में विमला के पति को कानूनी सबक भी सिखाया गया और पत्नी को किसी भी तरह से परेशान करने के मामले में पुलिस को निगाह रखने की हिदायत भी दी गई है। एक अन्य मामले में युवती प्रियंका की मनोस्थिति पर भी आयोग की अध्यक्षा अंबिका सूद ने कड़ा रुख अपनाया। भरवाईं की रहने वाली प्रियंका की सगाई एक वर्ष पहले हुई थी, इस एक साल में लड़के व लड़की वाले मिलते रहे। समाज में शादी का संदेश गया लेकिन शादी की शहनाई गूंजने से पहले ही लड़के वालों ने यह कहकर मना कर दिया कि उनके विचार नहीं मिलते। अब वधू पक्ष सदमे में है और लड़की भी। आयोग ने इस मुद्दे पर गहराई से पड़ताल की और जबरन शादी के बजाय अब खर्च का हिसाब देने के निर्देश दोनों पक्षों को दिए। इस तरह की हालत उन मां-बाप की भी है जिन्होंने अपनी लाड़ली की बड़े चाव से परवरिश की और बड़ा किया लेकिन जब उसने लव मैरिज कर ली तो बुजुर्ग मां-बाप उसे देखने के लिए तरस गए। इस तरह के मां-बाप ने महिला आयोग जाकर गुहार लगाई है कि हमें अपनी बेटी से मिलने व देखने का मौका मिले। हालांकि बेटी कहती है कि वह अपने घर में खुश है अत: उसके माता-पिता को उसी में खुश रहना चाहिए। एक दिन में करीब 31 में 29 मामलों में स्त्री का हर दर्द, हर संवेदना व हर जरूरत, किसी न किसी रूप में सामने आया, जिसका वीभत्स रूप हमारे समाज ने ही खड़ा किया है। अब इसी कुव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास राज्य महिला आयोग कर रहा है। एक दिन में करीब 40 फीसदी ऐसे मामलों को मौके पर ही बातचीत से हल किया जा रहा है। बताते हैं कि कई मर्तबा अलग-अलग गाडि़यों से आयोग पहुंचे दो पक्ष, आयोग की सलाह के बाद एक ही साथ वापस गए हैं। 365 दिन में जोड़े 377 परिवार : अंबिका महिला आयोग की अध्यक्ष अंबिका सूद कहती हैं कि एक वर्ष में 377 परिवार जोड़े हैं। अब जिलों में जाकर कोर्ट बैठ रहा है ताकि महिलाओं को अपनी बात कहने के लिए मीलों दूर चल कर न आना पड़े। उन्होंने बताया कि महिलाएं इसलिए भी ज्यादा आवेदन कर रही हैं क्योंकि वे जागरूक हो रहीं हैं। अब अगली कोर्ट 22 फरवरी को मंडी में लगेगी और फिर धर्मशाला में। आयोग ने यह भी हिदायतें जारी की हैं कि सुनवाई के लिए बुजुर्गो व 65 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों को कोर्ट में नहीं बुलाया जाएगा।

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