Wednesday, February 23, 2011

घरेलू अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनीं महिलाएं


जिले के आठ ब्लाक में सैकड़ों अनपढ़ ग्रामीण महिलाएं अपने-अपने परिवार की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गई हैं। पति की बेकारी अथवा बेहद कम कमाई के कारण एक-एक निवाले के लिए संघर्ष करने वाली सैकड़ों महिलाएं अब अपने परिवार के लिए निवाले जुटा रही हैं। मजे की बात तो यह है कि ये वे स्वयं सहायता समूह हैं जिन्हें शुरू में सरकारी मदद मिली लेकिन बाद में इनकी गतिविधियां ठप हो गई। अब ये समूह अपने बलबूते आगे का सफर तय कर रहे हैं।
सुसुप्तावस्था में पड़े इन समूहों में गायत्री परिवार रचनात्मक ट्रस्ट ने पुन: नई जान फूंकी। थोड़े से मार्गदर्शन और प्रशिक्षण ने उनमें आत्मनिर्भर होने की चाह फिर से पैदा कर दी। अपनी मेहनत और लगन के बूते सैकड़ों स्वयं सहायता समूहों से जुड़ कर हजारों महिलाएं कामयाबी की नई इबारत खामोशी से लिख रही हैं। मौजूदा समय में जिले के सभी आठ ब्लाकों में 35 से 40 महिला स्वयं सहायता समूह ट्रस्ट की देखरेख में संचालित किए जा रहे हैं। ट्रस्टी गंगाधर उपाध्याय के अनुसार इन महिलाओं को अगरबत्ती, मोमबत्ती बनाने, पूजन सामग्री का पैकेट तैयार करने, माला गूंथने जैसे कार्यों का प्रशिक्षण दिया गया। इनके द्वारा तैयार उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने की व्यवस्था भी अधिकतर समूहों ने संभाल ली है। प्रत्येक ब्लाक में बेरोजगार युवाओं को जोड़ कर 10-10 स्वयं सहायता समूह गठित करने का कार्य भी जारी है। एक हजार से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों को सरकारी सहायता भी प्राप्त है।
कानूडीह के राजभर बस्ती की सरिता। बस्ती के सभी सदस्य कच्ची दारू से आजीविका कमाते थे। सात साल पहले सरिता ने पांच महिलाओं के साथ स्वयं सहायता समूह बनाया। अब सरिता तो आत्मनिर्भर है ही 150 से अधिक समूहों के जरिए सैकड़ों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना दिया।
बेलवरिया की अनीता पटेल। किसी दिन घर में चूल्हा जलता तो कभी पानी पीकर ही रात गुजरती थी। चार वर्ष पूर्व स्वयं सहायता समूह की रोशनी उनके जीवन में आई। मेहनत के बल पर अनीता अपने परिवार के लिए जीविका जुटाने के साथ ही 37 अन्य समूहों का संचालन भी कर रही है।
लोढ़नपुर की सुमन हरिजन। गांव वालों के लिए कर्मठता की मिसाल बन चुकी है। चार वर्ष पूर्व स्वयं सहायता समूह के जरिए आर्थिक उन्नति के मार्ग पर बढ़ीं। उस मार्ग पर अब वह मील के कई पत्थर गाड़ चुकी है। 35 समूह संचालित करने वाली सुमन ने खुद एक एनजीओ बना लिया है।

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