Thursday, March 10, 2011

जनता चाहेगी तो चुनाव भी लड़ूंगी : संपत


 विद्रोह की चिंगारी कब व कैसे फूटी? घर में ही महिला-पुरुष का भेदभाव था, सो इसकी शुरुआत भी परिवार से ही हुई। फिर आस-पास के घरों में महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद की। बात आस-पास के गांवों में फैल गई और फिर महिलाएं साथ में जुड़ने लगीं। इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा होगा? 20 साल पहले की बात है, बांदा के राउली गांव में गुलाब नाम के एक दलित को प्रधान बनवाने की मुहिम चलाई, सफलता भी मिली। उस समय गुलाब के घर का पानी पीने पर मुझे पति व बच्चों के साथ ससुराल छोड़नी पड़ी थी। महिलाओं के साथ उत्पीड़न के लिए किसे दोषी मानती हैं? महिलाएं खुद जिम्मेदार हैं। इसके लिए उन्हें शिक्षित व आत्मनिर्भर बनाना होगा। दहेज प्रथा बंद करानी होगी। बाल विवाह पर रोक लगानी होगी, तभी स्त्री जाति के साथ अन्याय रुक सकेगा। महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार को क्या करना चाहिए? काहे का सशक्तीकरण, सिर्फ दिखावा है। लड़की अपनी इच्छा से पति नहीं चुन सकती है। 16 साल की लड़की अपनी मर्जी से विवाह करती है, तो घरवाले उसे नाबालिग करार देकर रिपोर्ट दर्ज करा देते हैं, जबकि यही परिवार वाले जब बाल विवाह कराते हैं तो ठीक है। लड़कियां 16 साल की उम्र में बालिग हो जाती हैं, उन्हें कानूनी तौर पर इसकी मान्यता दी जानी चाहिए। प्रदेश में महिला उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं? बांदा के शीलू कांड जैसी घटनाएं देश भर में हजारों होती हैं, इसमें विधायक का नाम आया तो मामला उछला। अन्यथा ऐसे कई मामले रोजाना दफन हो जाते हैं। आप राजनीति में आना चाहेंगी? अगर जनता की मर्जी होगी, तो वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव लड़ने पर विचार करूंगी। वैसे मैं खुद को किसी विधायक से कम नहीं मानती हैं, जनता के काम लड़कर करा लेती हूं। आप दुनिया की शीर्ष सौ प्रेरक महिलाओं में शामिल हुई हैं, कैसा लगा? बहुत खुशी हुई, किए गए कार्यो को मान्यता मिली। मां विंध्यवासिनी के दरबार में माथा टेककर आगे का संघर्ष जारी रखने का संकल्प किया है|

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